STOCK MARKET TODAY NEWS -बाजार में तेजी के ट्रिगर्स: जियोपॉलिटिक्स से राहत और आरबीआई की नरमी का असर

By Shekhar

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Stock Market Today News -भारतीय शेयर बाजार में हालिया तेजी के पीछे जियोपॉलिटिक्स में राहत, आरबीआई की प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग में नरमी और मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था के कारक। जानें विशेषज्ञों की राय और निवेश रणनीति।


बाजार में तेजी के ट्रिगर्स: जियोपॉलिटिक्स से राहत और आरबीआई की नरमी का असर

भारतीय शेयर बाजार ने हाल ही में एक शानदार टर्नअराउंड देखा है, जिसके पीछे कई महत्वपूर्ण ट्रिगर्स हैं। जियोपॉलिटिक्स में राहत, खासकर ईरान-इजराइल तनाव में अमेरिका की ओर से दो हफ्ते की मोहलत, और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों में नरमी ने बाजार को नई गति दी है। हालांकि, जोखिम अभी भी बरकरार हैं, लेकिन घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती और नीतिगत समन्वय निवेशकों का भरोसा बढ़ा रहे हैं। इस लेख में हम बाजार की इस तेजी के कारणों, विशेषज्ञों की राय और निवेश रणनीतियों पर चर्चा करेंगे।

बाजार में तेजी के प्रमुख ट्रिगर्स

  1. जियोपॉलिटिक्स में राहत: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ईरान-इजराइल तनाव में दो हफ्ते की मोहलत देने की घोषणा ने वैश्विक बाजारों में राहत की लहर दौड़ाई। इससे कच्चे तेल की कीमतों में स्थिरता आई, जो भारतीय बाजार के लिए सकारात्मक रहा। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप की नीतियों की अनिश्चितता बनी हुई है, जिसके कारण सतर्कता जरूरी है।
  2. आरबीआई की नीतिगत नरमी: आरबीआई ने प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग नियमों में ढील दी, जिसका सीधा असर पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर सेक्टर की कंपनियों पर दिखा। यह कदम सरकार और आरबीआई के बीच मॉनिटरी और फिस्कल नीतियों के समन्वय को दर्शाता है, जो अर्थव्यवस्था में तरलता बढ़ाने और विकास को गति देने के लिए उठाया गया है।
  3. मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था: चौथी तिमाही के नतीजों में गैर-वित्तीय कंपनियों ने 14% की प्रॉफिट वृद्धि दर्ज की, जो निवेशकों के लिए सकारात्मक संकेत है। इसके अलावा, म्यूचल फंड्स में 25,000-26,000 करोड़ रुपये की मासिक एसआईपी और घरेलू फंड मैनेजर्स की नकदी स्थिति बाजार को मजबूती दे रही है।
  4. अर्निंग्स अपग्रेड का अनुमान: विश्लेषकों ने करीब 200 कंपनियों के टारगेट प्राइस बढ़ाए हैं, जिससे निफ्टी की ईपीएस (प्रति शेयर आय) अनुमान में सुधार की उम्मीद है। इससे बाजार की वैल्यूएशन और आकर्षक हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय

  • अनुज सिंगल, मैनेजिंग एडिटर, सीएनबीसी आवाज: बाजार अब 24,500 पर नया बेस बना चुका है। अगर निफ्टी 25,200 को पार करता है, तो बड़ी खरीदारी देखने को मिल सकती है। हालांकि, जियोपॉलिटिक्स में अनिश्चितता बनी हुई है, लेकिन घरेलू नीतियां बाजार को सपोर्ट कर रही हैं।
  • सुनील सुब्रमण्यम, इंडस्ट्री एक्सपर्ट: भारतीय बाजार अंतरराष्ट्रीय घटनाओं से कम प्रभावित होता है। तेल की कीमतों में स्थिरता और आरबीआई-सरकार का समन्वय कॉन्फिडेंस बढ़ा रहा है। बीटीए (बाइलेटरल ट्रेड एग्रीमेंट) की घोषणा बाजार को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती है।
  • संजय सिन्हा, फाउंडर, स्वस एडवाइजर्स: गैर-वित्तीय कंपनियों के मजबूत प्रदर्शन और अर्निंग्स अपग्रेड से मध्यम अवधि में बाजार को बल मिलेगा। तरलता और एसआईपी फ्लो लंबी अवधि में बाजार को सपोर्ट करेंगे।

निवेश रणनीति: किन सेक्टर्स पर रखें नजर?

  1. पावर और इन्फ्रास्ट्रक्चर: आरबीआई की नरमी से इन सेक्टर्स में तेजी की संभावना है। कंपनियां जैसे एनटीपीसी, पावर ग्रिड, और अडानी पावर पर नजर रखें।
  2. गैर-वित्तीय कंपनियां: मैन्युफैक्चरिंग, कंज्यूमर गुड्स, और कैपिटल गुड्स सेक्टर में मजबूत अर्निंग्स ग्रोथ की उम्मीद है। रिलायंस इंडस्ट्रीज, लार्सन एंड टुब्रो जैसी कंपनियां आकर्षक हैं।
  3. ऑटो सेक्टर: ऑटो सेक्टर में मिश्रित रुझान है। दोपहिया वाहनों में डिमांड बढ़ रही है, लेकिन चारपहिया में चुनौतियां बनी हैं। मारुति सुजुकी और हीरो मोटोकॉर्प पर दांव लगाया जा सकता है।
  4. आईटी सेक्टर: वैश्विक अनिश्चितता के कारण आईटी सेक्टर में सतर्क दृष्टिकोण अपनाएं। हालांकि, टीसीएस और इन्फोसिस जैसी बड़ी कंपनियां लंबी अवधि के लिए सुरक्षित हैं।

आगे की राह

बाजार अभी भी जियोपॉलिटिक्स और वैश्विक व्यापार नीतियों की अनिश्चितता से प्रभावित हो सकता है। तीन जुलाई को ट्रंप की टैरिफ नीति स्पष्ट होगी, और मॉनसून की प्रगति भी बाजार के लिए महत्वपूर्ण होगी। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के नतीजे बाजार की दिशा तय करेंगे।

निष्कर्ष

भारतीय शेयर बाजार में मौजूदा तेजी जियोपॉलिटिक्स में राहत, आरबीआई की नीतिगत नरमी, और मजबूत घरेलू कारकों का परिणाम है। निवेशकों को सतर्क रहते हुए पावर, इन्फ्रास्ट्रक्चर, और गैर-वित्तीय सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहिए। मध्यम और लंबी अवधि में बाजार के लिए संभावनाएं उज्ज्वल हैं, लेकिन अल्पकालिक उतार-चढ़ाव से बचने के लिए रणनीतिक निवेश जरूरी है।


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